........हम बच्चे , उन्हें डाकू मामा कह के बुलाते थे । क्यों बुलाते थे ?
नहीं हमें मालूम .....एक दिन , मैंने अपनी दादी से पूछा ....दादी , ये डाकू मामा ,
सच -मुच के डाकू हैं ? दादी ने जो बताया , वह मेरी समझ में नहीं
आया । डाकू मामा की .....दो साल की बिटिया को .....दिप्पन दादी पालती थी ,
जिसे देखने के लिए ....डाकू मामा आते थे । मेरे घर के सामने का घर दिप्प्न दादी
का था ......दिप्पन दादी ,बहुत गोरी थी .....मुझसे बहुत प्यार करती थी ......वह मेरे
पिता की भी दादी थी ....जब मैं गाँव आता ,मैं उनके ही पास सोने की जिद्द करता था
.........एक तरफ चंदा सोती और एक तरफ मैं ......
आज डाकू मामा , चन्दा को देखने आये थे .....जब भी आते ..... गुड की बनी
मिठाई जरुर लाते थे ....उस समय गाँव में गुड की ही मिठाई बनती थी ....चोटहा गट्टा ले
कर आते थे ....दिप्पन दादी हम सभी बच्चों को देती थी । डाकू मामा बहुत लम्बे थे ,एक
आँख ...दूसरी आँख से बहुत बड़ी थी ,जिससे उनका चेहरा डरावना लगता था । कोई भी बच्चा
उनके करीब नहीं आता था ,बस दूर से या छिप के " डाकू मामा "कह के हम उन्हें चिढाते थे ।
डाकू मामा अपनी एक आँख निकाल के , हम बच्चों को डराते थे .....दिप्पन दादी
के सगे भाई थे । यह मेरी दादी ने मुझे बताया था ,लेकिन मैं उनसे नहीं डरता था । दोस्त मेरे
मुझे बहादुर समझते थे ,डाकू मामा ने शादी नहीं की थी .........फिर यह चन्दा कहाँ से आयी ?
..........यही सब, मेरी मंडली जानना चाहती थी ......हम सभी लडके ,आम की बगिया में बैठ
के आपस में यही बात करते थे .....राधे कहता था ,हमें भी डाकू बन जाना चाहिए ....तब हम
कुछ भी कर सकते हैं ....हमें स्कूल भी नहीं जाना पड़ेगा ,और ना ही मुंशी जी की मार खानी
पड़ेगी ...
मैंने कहा .....मैं डाकू मामा से पूछूंगा ....डाकू कैसे बना जाता है ?.....मेरी बात
से सभी सहमत हो गये । सुरेस, कहांर जात का था ....लेकिन वह हमारे साथ ही रहता था ।
जब कभी ....हम पंडितों को दावत मिलती किसी दुसरे गाँव से ,हम उसे भी ले जाते थे ......
उसे एक जनेऊ पहना देते थे और अपने साथ ही पांत में बैठा लेते थे ,किसी को भी शक नहीं होता
था .......यह कहांर का लडका है । हम लडके पूड़ी खाते -खाते कुछ पुड़ियाँ छिपा के अपनी हाफ
पैंट की जेब में डाल लेते थे .....घर आ के इकठा करते ...जब भी मैं गाँव आता ...एक कुत्ता जरुर
पाल लेता ....इसी कुत्ते के लिए हम पुड़ियाँ लाये थे ....उसे खिलाया करते थे
रात को ,दिप्पन दादी के पास सोते हुए ,मैंने पूछा ....."दादी डाकू मामा सच में डाकू हैं " ?
.......वह मेरी तरफ थोड़ी देर तक देखती रहीं .....फिर कहने लगी .....मुझे मालूम है ...तू क्यों जानना
चाहता है ? .....बेटा .....,बहुत साल पहले की बात है,मेरी शादी तेरे दादा जी से तै हो गयी थी ,
डाकू मामा जी मेरे बड़े भाई थे .....शादी से दो रोज पहले ,हमारे घर पे डाका पड़ा .....डाकू मामा
शुरू से ही कुस्ती और पहलवानी का बहुत शौक था .....आस -पास इलाके में उनका जैसा कोई
तगड़ा इंसान नहीं था । डाकू मामा .....उन डाकुओं से लड़ते हुए ....अपनी आँख तक गवा दिया
......इसी घटना के बाद से सभी लोग उन्हें डाकू मामा ...कह के बुलाने लगे .....और यह चन्दा
मामा जी की सगी बेटी है .......यह गाँव वाले जो कहते ....उन्हें मत सुना कर .....दिप्पन दादी की
बात सुनते - सुनते कब सो गया ....आगे क्या बताया मुझे नहीं मालूम ....
इस घटना को .....करीब चालीस साल हो गये ....न दिप्पन दादी रहीं ....न डाकू मामा जी
वो चन्दा आज भी है ......उसकी शादी एक अच्छे खानदान में हुई ....दो बेटियाँ हैं ......और डाकू मामा
जी इतना धन छोड़ के गये हैं .......लोग आज भी कहते हैं ...सब लूटा हुआ माल है ....चन्दा ,जो आज
मौज से रह रही है ......डाकू मामा की देन है ....
चन्दा के पास सच में बहुत धन है ....एक सेठानी की तरह रहती है .......रिश्ते में मैं उसे
बुआ कहता हूँ ....आज भी हमारे घर में कोई भी तीज -त्यौहार होता है उन्हें जरुर बुलाया जाता है
..............हमारी मण्डली आज भी मिलती है ....आज भी ,वह आम की बगिया है .....पर सारे पेड़
बूढ़े हो गये हैं, फल भी बहुत कम लगते हैं ........हम सभी भी तो बूढ़े हो गयें हैं ...... ।
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