Sunday, June 13, 2010

हजपुरा

.....पहली बार ,मैं अपने शहर से ,कहीं दूर की यात्रा कर रहा था

ट्रेन में दो लडके और मिले जो .....पूना में इंटरव्यू देने जा रहे थे

.....पूना पहुँचने के बाद ......मैं अपने एक पहचान वाले घर जा


पहुंचा ।

दुसरे दिन प्रभात स्टूडियो में इंटरव्यू था ......प्रभात रोड


पे था यह स्टूडियो .......सुबह नौ बजे मैं पहुँच गया .......एक छोटा सा


आम क़ा पेड़ था ,जिसे विजडम ट्री कहते थे ......बाएँ तरफ एक कैंटीन थी


और इस पेड़ ही के बगल प्रिंसिपल जगत मुरारी क़ा आफिस था ......इसी आफिस

में हमारा इंटरव्यू भी था ...........मेरा नम्बर दोपहर के बाद आया ....जब मैं

आफिस में पहुंचा ...कुल पांच लोग बैठे थे .....जगत मुरारी जी ,ख्वाजा अहमद अब्बास

राजेन्द्र सिंह वेदी साहब दो और कोई थे ......जिन्हें मैं नहीं जानता ......मुझे बैठने को

कहा गया .....सभी लोगो ने फ़ार्म को पढ़ा ......पहला सवाल मुझ पर आया ......किसने

पूछा मुझे याद नहीं है ....यम .कॉम करने के बाद .....आर्ट लाइन में क्यों आना चाहते हैं

......कुछ सोचा नहीं और सीधा जवाब दिया .....आज तक कुछ सोचा ,,बस फिल्म,

इसके अलावा कुछ नहीं ......इतना सुनते ही ....अब्बास साहब ने पूछ लिया .....अभी हाल

में कौन सी फिल्म देखी है आप ने ?........सच कहूँ एक दस रोज पहले ही ....मैंने सात हिन्दुस्तानी

फिल्म देखी थी उसी कानाम लिया ......यह सुन कर अब्बास साहब ने कहा ......इसके अलावा

और कौन सी फिल्म देखी है ?.......कुछ समझ में नहीं आ रहा था ,कौन सी फिल्म के बारे में

बताऊं .....मैंने ...एक अंग्रेजी फिल्म देखी थी .......नाम था ,ब्लो अप ......फिर अब्बास

साहब ने कहा इस फिल्म में क्या अच्छा लगा .....मैंने शार्ट में कहानी बता दिया .......

फिर जगत मुरारी जी ने जो पूछा मुझे याद नहीं है अब , फिर अब्बास साहब ने पूछा

....आप लखनऊ के हैं .....आप के शहर में कौन है ,जो अंग्रेजी प्ले करता है ?....मैंने ...

राज विसारिया जी क़ा नाम लिया ......

और मेरा .....इंटरव्यू पूरा हो गया ......मुझे जाने को कहा गया ....कल सुबह एक

लिस्ट निकले गी ......जिसमें स्क्रिप्ट रायटिंग कोर्स में चुने हुए लडकों क़ा नाम निकलेगा ॥

......सुबह क़ा इन्तजार होने लगा ॥

.......सुबह हुई .....मैं प्रभात स्टूडियो पहुंचा .......भीड़ थी ....लिस्ट निकली ......मेरा नाम था

उसमें .....ख़ुशी से भर गया ......

अब मुश्किल इस बात की थी .....बाबू जी आने देंगे या नहीं ......और अपने शहर की तरफ

चल दिया .....पिताजी को यह सब कुछ अच्छा लगा ....जाने की बात जब उठी .....

फिर पंडित जी को बुलाया गया ...मेरी कुंडली दिखाई गयी ....पंडित जी ने कहा ....अभी तो

इसको पढना ही है ....

...............और मैं पूना फिल्म की पढाई करने चल दिया .........

1 comment:

  1. आप चुन लिये गये , तो मुबारक हो ( देर हो गई माफ कीजियेगा )

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