Friday, February 19, 2010

उम्र सत्तासी की दिल बचपन का

उसकी जिंदगी में बहुत सूना पन था ,उसकी लड़ाई अपनों से थी .पूरा घर भरा हुआ था ,सब अपने में मस्त थे ,बेटे ,बेटी ,बहु ,नाती ,पोते | सब तो थे फिर भी अकेला था |वक्त पे खाना मिल जाता चाय मिल जाती ,पर कोई ठीक से बात नहीं करता ,एक अखबार ही उसका साथी था जो शाम तक उसके साथ रहता |अखबार की कोई खबर उससे छूटती नहीं ,सुबह उसको पढ़ने को नहीं मिलता ,जब सब लोग पढ़ लेते ,फिर इसके पास आता ....सब से पहले वह पेज देखता जिसमें मरने वालों की खबर फोटो के

साथ छपी होती ,हर किसी को पहचनने की कोशिश करता ,बहुत देर तक इसी पन्ने को देखता .......फिर नौकरी के बारे में देखता ,कहाँ कहाँ नौकरी मिल रही है अपने लिए भी नौकरी खोजता ८७ साल से उपर इसकी उम्र है ,इस उम्र में कोई उसको नौकरी देगा भी या नहीं ?अखबार पढते पढते उसकी आँख कब लग जाती उसे पता भी नहीं चलता |

छोटी बहु के चिल्लाने से उसकी आँख खुलती ,....पापा जी खाना रखा है खा लीजिए ....इसकी सूरत सूरइया फिल्म की हिरोइन से मिलती .... मैं इसको अक्सर घूर

के देखता ...तब यह मुझसे पूछ लेती ,पापाजी आप मुझे ऐसे क्यों देखते हैं ?मैं एक झटके में बोल देता तेरी शक्ल मेरी माँ से मिलती है ,जब की यह झूठ होता ,कुछ भी हो छोटी बहु ही मेरा ख्याल रखती है | मेरे पास एक जमीन है ,उसे मैं छोटी बहु को ही दे

कर जाऊंगा .इस जमीन के बारे में किसी को पता नहीं | जब मैं पचास साल का था ,मैंने इस जमीन को खरीदा था और पत्नी ने कहा था .....जब हम बूढ़े हो जायेगें तब इस

जमीन को बेच कर अपना खर्च चलायेगें ....पत्नी तो ७१ साल में मर गई ...उसके गहने बच्चों ने आपस में बाँट लिया ,एक बार भी मुझसे नहीं पूछा ...जैसा उन पर मेरा कोई हक ही नहीं है पर जमीन की बात मैंने किसी को नहीं बताया आज तक राज ही है

अब मन सोचने लगा है अगर किसी को नहीं बताया तो .....कोई और ले जायेगा| खाना खा चुका था ,विमला नौकरानी ने आ कर बर्तन उठाया ,और उसने मुझे

एक चिट्ठी दी ......पापा जी ,मैं छुपा कर ला रहीं हूँ कोई देख लेता ...तो पहले पढता फिर आप को देता ,खुश हो कर यही कहा ,,,विमला मेरे पास देने को कुछ नहीं है |

उसने कोई जवाब नहीं दिया ....बस चली गई ,मुझे उससे पता नहीं क्यों ड़र

लगता है | उसका बस चले तो वह मुझे मार के भी बेच डाले .......अखबार फिर खोला और पढ़ना शुरू किया ...........|

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