Thursday, February 25, 2010

सत्तू

करीब महीना बीत गया काम करते हुए ,ज़ेबाजी की वज़ह से , ......इस घर का खास आदमी हो गया

.....मुझे यहीं बंगले में ही रहने को कह दिया गया था । मैंने बिरजू से माफ़ी मांग लिया था ,समझा

दिया था । अगर नौकरी करनी है तो बंगले में ही रहना पड़ेगा ,वह मुझे शक की नजर से देखने लगा था

.....पर चलते -चलते यह कहा ....हमें भूलना मत ।

अब तो .....भंडारी ,जो बेबी का मैनेजर है ,मुझसे पूछ के ही मिलने जाता है । पहले दिन जिस

तरह से डांटा था ....आज तक नहीं भूला............ । कभी -कभी डर लगता है ,इतना विस्वास कैसे करती

हैं .......? बेबी की माँ ,मुझे शक की नज़र से देखती हैं ...... ।


एक दिन ,हमारी शूटिंग फिल्म सिटी ,गोरेगांव में चल रही थी ....बेबी के हीरो शब्बीर खान

थे .......बेबी से कुछ ज्यादा ही चिपकने की कोशिश करते ....यही डर शायद बेबी को था ...मुझे हमेसा

अपने पास रखती ........खान को सब समझ में आ रहा था ..... । जब बेबी शाट दे रही थी ....खान ने मुझे

गुस्से से देखा .....और कहा ...आंटी से दूर नहीं रह सकते ?.....मैं चुप रहा ..... ।

रात को मोहन ड्राईवर की तवियत खराब हो गयी .......और बेबी से छुट्टी मांग कर घर चला

गया ..... । रात एक बजे शूटिंग पैकप हुई ....खान ने बेबी से कहा ,मैं छोड़ देता हूँ आप को ..... ... ।

कुछ सोच के बेबी ने कहा ....ठीक है । ......वैन में पहुँच कर ....बेबी ने शूटिंग के कपडे बदले ...और बेबी ने

मुझे बुलाया ....... । मैं वैन में पहुंचा ....बेबी ने मुझे ध्यान से देखा .....और कहा ,खान साहब की नियत

ठीक नहीं लग रही है ..... बोलो क्या करें ...? ........बोलो ......चुप क्यों हो ....यह अच्छा इंसान नहीं है

और मेरे साथ .....जबर्दस्ती करना चाहता है ....यह लोग परदे पे कुछ और होते है और आम जिन्दगी में

इनकी सच्चाई करीब से देख लो ......मैं सिर्फ सुन रहा था ,लग रहा था ...दो पाटों के बीच ....मैं फंस गया

दो हजार की नौकरी में .......क्या -क्या करना पड़ेगा । ..........वैन के डोर पे खटखट हुआ ......बेबी डर

गयी .....तभी खान अंदर आ गया ......ज़ेबा चलो ....चलो ...दो बार वीवी का फोन आ चुका है .....

कुछ सोच कर ,बेबी ने कहा ..दो मिनट ,आप चले मैं आती हूँ ......जाते -जाते खान कहता हुआ गया

अगली फिल्म हम लोग साथ -साथ कर रहें है ....और हाँ जल्दी आना ।

बेबी ने मुड कर मेरी तरफ देखा .......और कहा ...तुम जाओ .मैंने कुछ सोच कर कहा ...मुझे गाड़ी

चलानी आती है ......फिर इतनी देर क्यों कर रहे हो .....जाओ ले कर आओ ...

.......इतना सुनना था ......मैं कार ले कर वैन के पास आया ......पहली बार कार चला रहा था ...

खान वहीं वैन के पास ही खड़ा था ....ज़ेबा बेबी वैन से बाहर आई ....खान, उनसे कुछ बात करने लगा ॥

क्या कहा बेबी ने ....खान चला गया ....गुस्से में , ....बेबी कार में बैठीं ....और मैं ले कर चल दिया

यह बेबी की पहली जीत थी ...वह बहुत खुश थी । मैंने कार चलाते-चलाते पूछा ......बेबी आप को कार

नहीं चलानी नहीं आती ? ......आती है ,पर डर लगता .......पूछा मैंने किस बात का .....?एक्सीडेंट का

.......लेकिन एक बात बताओ ....तुम्हे भी तो नहीं चलानी नहीं आती, आज कैसे चला रहे हो ?.....

गावं में था तो जीप चलाता था ....कार नहीं चलाया था और फिर इतनी बड़ी कार ..... । फिर उन्होंने कुछ

ऐसा पूछा ....जिसकी वज़ह मैं नहीं .....जानता ........मैं हिन्दू बन सकती हूँ ?


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