Tuesday, February 23, 2010

सत्तू

हम दोनों ,घर पहुंचे ......घर क्या था ,एक टीन की चादर- छत बनी झोपडी थी । मैं बहुत खुश था ,आखिर

नौकरी मिल ही गई । बिरजू ,पता नहीं क्यों चुप था ,ऐसा लग रहा था । जैसे उसको मेरी नौकरी का मिलना

अच्छा नहीं लगा । मैंने ही पूछा ,क्या बात बिरजू तू इतना चुप क्यों है ? बस ऐसे ही ,कह के, फिर चुप हो

गया । उसकी चुप्पी मुझे सालने लगी ,एक डर मुझमें समाने लगा । फिर मैंने पूछा ......बोल न, क्या बात

है ...... । उसने मेरी तरफ देखा .....जो नौकरी तुझे मिली है .....इसमें एक डर है ,तू कर भी पायेगा या ....

नहीं ...पता नहीं । ऐसा क्यों कह रहा है तू .....? बस ऐसे ही ......एक दो दिन करना ....नहीं अच्छा लगे

.....तो छोड़ देना ...समझा । मैंने ...हूँ में सर हिला दिया .....लेकिन ....मैं सच में डर गया .....कौन सा

काम मुझसे लिया जायेगा ....... ।

सुबह तडके ही तैयार हो कर .......जुहू के बंगले पे पहुँच गया ......कल वाला ही चौकीदार था ।

मुझे पहचान कर अंदर आने दिया .....चौकीदार ही ने अंदर फोन करके बताया ....मेरे बारे में ....कुछ सुन

कर, मुझे अंदर जाने को कहा .....जावो ...अंदर बुलाया है ,और साथ ही साथ बोल पड़ा बडी किस्मत ले

कर आये हो ....... । यह सुन कर ,एक डर ,जो कल से चिपका हुआ था .....थोड़ा सा कम हुआ ।

घर में पहुंचा ,वहाँ पहले से ही कुछ लोग बैठे थे ,मुझे देख कर ,एक दुबला सा आदमी उठा और

मेरे पास आया ......और मुझे ....दूसरे कमरे में ले गया .....और गुस्से में कहने लगा । यहाँ ,तुमको

किसने भेजा ......मैं डर गया ....और बोल पड़ा ....चौकीदार ने । ...........यह जौनपुर वाले ,साले बड़े

बदमाश होते हैं । तुम भी जौनपुर के हो ...? मैंने ...हूँ कहा ....मुझे ध्यान से देखा और फिर कहने लगा

......तुम भोजपुरी फिल्मों के हीरो लगते हो .....यहाँ क्या करोगे ....बड़ी मेडम से बात हो गयी ...पैसे की

भी बात कर ली न .......फिर मैंने ....हाँ कहाऔर हाँ मेडम ने तुम्हे नये कपडे देने को कहा ......तभी पीछे

से किसी ने कहा .....अरे भंडारी जी ,आप यहाँ क्या कर रहें हैं ? मैंने और भंडारी जी ने दोनों ने साथ साथ

पीछे मुड़ के देखा ......मैं देखता रह गया ......इनकी एक ही फिल्म देखी थी .....बस पागल हो गया था

इतनी खूबसूरत जिसको बयान नहीं किया जा सकता .....मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी । तभी

भंडारी बोल पड़ा ....बेबी यह लडका ,आज से आप का बॉय है ......तभी बेबी ने मेरी तरफ देखा ...उपर

से नीचे तक देखा .....और बोल पड़ी ...भंडारी जी कपडे तो ढंग के पहनवा दीजिये ....... । ठीक है ...आज

से भेज देता हूँ ...सब कुछ समझा दीजियेगा ......जी ठीक है .......इतना कह के बेबी जेबा जी चली गयी ,

भंडारी जी ने मुझे देखा ....और कहने लगे ...तुम्हारा नाम क्या है ? जी राजेश पाण्डेय ....... । पडित हो


......
जी ...कुछ खाते पीते हो ? नहीं साहब ....खिला तो सकते हो ....? जी ...जी ....बेबी को चिकेन

बहुत पसंद है ....और उसके साथ राईस खाती हैं यह सब तुम्हे देखना होगा .......मेरी समझ में कुछ नहीं

आ रहा था ......मुझे काम क्या करना होगा ,यही सब करना होगा ......


जेबा जी की शूटिंग देर रात तक चलती रही .....मुझे आज उनके दुसरे सहायक ने सब

कम समझा दिया .....एक औरत थी ,जो जेबा जी के बालों को झाड़ती थी ....दुसरा आदमी उनका .....

मेकप मैन.....बसंत था


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