Sunday, February 21, 2010

सत्तू

हम सभी को ,इस शहर में रहते हुए करीब चार महीने बीत चुके थे । कोई काम अभी तक नहीं

मिला ,बी .ए .तक की पढाई बेकार सी हो चुकी थी । कहीं भी मेरे लायक काम नहीं था ,बड़ी उम्मीद

से मुम्बई आया था । कुछ काम मिल जाएगा तो अपने परिवार का पेट पाल सकूंगा । रोज एक दिन

कल की उम्मीद में गुज़र रहा था ,मैं यहाँ अपने ही गावँ के बिरजू पे भार बना हुआ था । वह कपास बाडी

में रहता था ....एक झोपड़ी थी ,जिसमें उसका बसेरा था । गावं से चलते समय उसने कहा था ......बम्बई

में मैदान -दिशा भी समुन्द्र के किनारे जाना पड़ेगा .....पहली बार समुन्द्र को देख कर मन बहुत खुश हुआ

इतना पानी ..पानी ही पानी सब तरफ ,बहुत तेजी से समुन्द्र के किनारे गया .....थोड़ा अंदर तक पहुंचा

कुछ सोच के चुल्लू भर पानी लिया ....मुहं से लगा कर पिया , इतना नमकीन ....मैंने सोचा भी नहीं था ।


मुम्बई जैसी जिन्दगी, मैंने आज तक जिया नहीं था ...कई बार यहाँ से भाग जानेका मन भी

हुआ ,पर घर जा कर भी क्या करूंगा ,फिर वही लड़ाई रोटी की ...दोनों जगह एक ही चीज की चाह ,धन

का मिलना ....महीनों बीत चुके ,एक भी पैसा नहीं भेजा ,झूठ -मुठ का आश्वासन ,देता रहता हूँ , माँको॥


काम की तलाश जारी था ....राज साहब, सब को भगाने की बात करते .....मराठी सीखने की बात हर

भैया कर रहा था ...एक डर अंदर ....बैठ चुका था ....यादव मुझे शाम को ,एक साहब से मिलाने ले गया

जुहू के एक बंगले में .....बहुत बड़ा गेट ,एक चौकीदार खड़ा ,बिरजू को पहचान गया और उसने पूछा

साहब ने बुलाया था ,बिरजू ने हाँ में जवाब दिया । हम दोनों अंदर पहुंचे ,और बंगले के नीचे कमरे में

बैठ गए ,थोड़ी देर बैठे रहे ,मुझे किस काम की नौकरी के लिए लाया है बिरजू , मुझे नहीं मालूम ,इसी सोच

विचार में बैठा रहा, तभी एक मोटी सी औरत आयी ,हम दोनों खड़े हो गए ,उस औरत ने मुझे ध्यान से देखा

और फिर बैठने को कहा .....हम दोनों बैठ गए । ............बडी देर बाद ,उस मोटी औरत ने मुहं खोला

मेरी बेटी फिल्म की हिरोइन है ,उसके साथ रहना होगा उसका ख्याल रखना होगा ,समझ गए ।

महीने का दो हजार मिले गा दोनों वक्त का खाना भी ....ख्याल रखने का मतलब समझते हो न ,

बेटी के साथ साये की तरह रहना पडेगा । यह सुन का मैं बहुत खुश हुआ ,घर पर हर महीने पैसे भेज

सकूंगा । मैं कुछ और सोचता ,तभी वह मोटी औरत बोल पड़ी ,सुबह आठ बजे आना होगा ,रात कोई

पक्का नहीं ,बेटी को छोड़ के ही अपने घर जा पाओगे ....मैंने जी में जवाब दिया ठीक है ,काम कब से

शुरू करना होगा ? ....कल से आ जाओ ....बिरजू , नाम क्या है इसका ? और तुम्हारे विस्वास पे रखा

है ......


जारी .....





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