......मैं और बिरजू , ज़ेबा जी के बंगले के पास ही पहुंचे थे ,
तभी ज़ेबा जी अपनी कार से बाहर निकली शूटिंग पे जाने
के लिए ....उनकी कार हमारे सामने से गुजरी .....और हम से
कुछ दूरी पे जा कर रुक गयी ।
मैं घबरा गया ,बिरजू भी डर गया ,हम दोनों तेजी से
आगे बढ़ गये ....तभी पीछे से किसी के बुलाने की आवाज आयी
.....हम दोनों डर के रुक गये । हमारे पास ,मोहन ड्राइवर ज़ेबा जी
का भागता हुआ आया ,और कहने लगा .......भाई राजेश जी आप को
मेडम बुलाती है .....
मैं डरा हुआ .....ज़ेबा जी कार के पास पहुंचा ....मेरी कुछ समझ में नहीं
आ रहा था ...क्यों बुलाया है मुझको ...? अब तो इनसे बहुत डर भी लगने लगा
है ,जब से यह जाना की ये डान की बहन हैं ....
कार की खिडकी खुली , ज़ेबा जी ने बाहर झांक कर मुझसे कहा , कार में
बैठो ......मैं डर के मारे खड़ा ही रहा ,फिर गुस्से में कहा ...... सुनाई नहीं देता .....!
मैं डर के ..कार मैं बैठ गया ,मेरे साथ बिरजू भी बैठने लगा ,यह देख कर ज़ेबा जी
बोल पड़ी ........तुम बिरजू , यहीं बंगले में बैठो ....इसको मैं शूटिंग पे ले जा रही हूँ
......शाम तक आ जाएगा ...इतना कह कर , मुझे उड़ा कर अपने साथ ले कर गयी
गाड़ी में मुझसे कुछ भी बात नहीं की ........कार महबूब स्टूडियो पहुंची ....
कार रुकी मैं जल्दी से कार से बाहर निकला ....पास खड़ी वैन में ज़ेबा जी गयी
उनके और स्टाफ के लोग भी वैन में गये ....मुझसे कोई भी बात नहीं कर रहा था
दस मिनट तक मैं ...वैन से बाहर ही खड़ा रहा .........मुझे क्यों लाया गया ?
मेरी समझ ...कुछ नहीं आ रहा था । क्या करूं यहाँ खड़ा हो कर ...बहुत मुश्किल
में जिन्दगी हो गयी ...
तभी वैन से ज़ेबा जी का स्टाफ बाहर आया और मुझे अंदर जाने को कहा ...
...मैं धीरे -धीरे डरा हुआ ,वैन में पहुंचा .....ज़ेबा जी बहुत बड़े आईने के सामने बैठी
थी ....मुझे देख कर बैठने को कहा , मैं पास रखी कुर्सी पे बैठ गया .....शीशे में से मुझे
देख कर पूछा ,कैसे हो राजेश ? सुना ऑटो ...और उस दिन ...जब तुम मेरी ........
कार से टकराए थे ...तुमने मुझे देखा था न ....?फिर ..फिर पुलिस को झूठ क्यों कहा ?
.........मैं सोच में .... पड़ गया , ....क्या कहूँ इनसे ....और यह सच भी ...मैंने
उस दिन जान बूझ कर इनका नाम नहीं लिया था ...
.......बोलो .....झूठ मत बोलना ...फिर से ज़ेबा जी ने कहा .......
...मेरे पास अब सच बोलने के अलावा कोई जवाब नहीं था .....जी मैंने ...पुलिस को झूठ बोला
था ,जान बूझ के ..... ।
...वजह क्या थी ...मुझे क्यों बचाना चाहते थे .....?
....बस ...आप का नमक खाया था .......!
..यह सुन कर जोरों से हंस पड़ी .......सीख गये बोलना ...अच्छी बात है ...
खान को क्या सजा दोगे .....? ...बोलो .....!
......यही तो मैं और बिरजू चार दिन से सोच रहें हैं ......? कुछ समझ नहीं आ रहा है
....भाई जान ने जो कहा था .......वह भी रास्ता बुरा तो नहीं .....?.काम करो ....भाई जान बचा लेंगे
.......जानते हो .....तुम्हारे जाने के बाद .....दो बार खान ने ........मुझ से जबर्दस्ती करनी चाही
और उस दिन ...जब तुमको मैंने उड़ाया था ....उस दिन भी ...खान ने .......उस दिन तुम पर
बहुत गुस्सा आया ......पर क्या करती ....अब बताओ .......मुझे क्या करना चाहिए ?...है कोई जवाब ?
ज़ेबा की बातें सुन कर ....मुझे लगा .....खान की सजा मौत ही है ...
...ज़ेबा जी ने ...कहा क्या सोचने लगे .....एक बार कुछ रोज पहले ...किसी को सुपारी दी थी ....पर येन
वक्त पे उसकी पिस्तौल चोरी हो गयी .....उसके आदमी फिल्म सिटी तक आये थे ....जहां पिस्तौल रखी
थी ....कोई उठा ले गया .....उस दिन खान मेरे साथ शूटिंग कर रहा था .......उन लोगों का कहना है ,कोई
ऑटो चलाने वाला ले गया ......कौन है ? उसकी तलाश जारी है ....
एक रास्ता बताऊं .....मेरे साथ काम करो ....और मेरे पास पिस्तौल भी है ....फिर किसी दिन
मौक़ा देख कर ....खान को शिकार बना लेना .....और तुम्हे बचाने के लिए मेरा सारा स्टाफ होगा
....क्यों रास्ता कैसा है .....वैसे मैं और भी रास्ते अपना सकती हूँ ......
मैं उसको सजा ...इस तरह देना चाहती हूँ .....जिससे कोई भी आदमी किसी लड़की को
जबरदस्ती अपनी हवस का शिकार ना बना सके ....
मुझे जेबा जी की बात जम गयी .....और मैंने हाँ कह दिया .....
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